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Ayodhya Verdict : बाबरी मस्जिद -अयोध्या राम मंदिर का परिणाम

बता दे कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को मंदिर निर्माण के लिए तीन महीने में ट्रस्ट बनाने को कहा है, इसलिए संत समाज और संघ की भूमिका अहम हो गई है। हालांकि, विहिप नेताओं का भी कहना है कि राम मंदिर की नींव रखने के लिए संतों द्वारा सुझाई गई दो तारीखों से बेहतर कोई और तारीख नहीं हो सकती। पंचांग के अनुसार, हिंदू नववर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होता है, जो 2020 में 25 मार्च से शुरू होगा। रामनवमी 2 अप्रैल को है।

1. संत समाज चाहता है कि हिंदू नववर्ष (25 मार्च को) को मंदिर की नींव रखी जाए
2.दूसरा विकल्प है कि रामनवमी (2 अप्रैल) को मंदिर की नींव रखी जाए
3. अयोध्या में हिंदुओं ने बारावफात के जुलूस का फूलों से किया स्वागत

अयोध्या का फैसला 11 नवंबर 2019 के सुप्रीम कोर्ट के 5 बेंच के द्वारा जो निर्णय लिया गया है वो कबीले तारीफ है और सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का सम्मान आज देश के सभी नागरिको ने अपने सिर पर ताज के रूप पे सजा लिया है। 



सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार (10-November, 2019) को अयोध्या की विवादित जमीन पर ट्रस्ट के जरिए मंदिर बनाने और मस्जिद के लिए अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया लेकिन ये सुप्रीम कोर्ट के ऐसा ऐतिहासिक फैसला दिया जिसमे हिन्दू और मुस्लिम समाज की भावनाओ का सम्मान करते हुए बहुत ही ट्रांसपेरेंट फैसला सुनाया। 

उत्तर प्रदेश में रविवार को ईद-ए-मिलादुनबी के जुलूस निकले, जिनमे अयोध्या में कई जगहों पर हिंदुओं ने फूलों से जुलूस का स्वागत किया। इसी तरह मुस्लिम नेताओं ने राम जन्मभूमि न्यास पहुंचकर रामलला को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के लिए बधाई दी। इमाम शमसुल कमर कादरी ने कहा, ‘सौहार्द बनाए रखना सबकी जिम्मेदारी है, इसलिए हमने कोर्ट के फैसले के दिन शनिवार को ईद-ए-मिलादुनबी के जुलूस नहीं निकाले।

अयोध्या का राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का मामला आज किसको नहीं मालूम ? ५ जजों की पीठ की बैठक के बाद शनिवार 9 नवंबर को दिया गया फैसला। ये बात तो बिलकुल साफ़ कर दी गयी है कि विवादित जमीन रामलला विराजमान पक्ष को दी गयी लेकिन मस्जिद के लिए अलग से पांच एकड़ जमीन देने का निर्देश कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी दिया है।

  • धारा 142 का लिया था सहारा सुप्रीम कोर्ट ने
  • इसकी मदद से सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद के लिए दी जमीन
  • निर्मोही अखाड़ा मामले में हुआ 142 का प्रयोग


आखिर अनुच्छेद 142 है क्या और कोर्ट को इस मामले में इसकी मदद क्यों लेनी पड़ी? इस अनुच्छेद का प्रयोग करते हुए कोर्ट ने क्या कहा?

संविधान का अनुच्छेद 142 (1) देश के शीर्ष न्यायालय (Supreme Court) को विशेष अधिकार देता है। जिसमे "किसी लंबित मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए सुप्रीम कोर्ट अपने अधिकारक्षेत्र में ऐसे आदेश दे सकता है, जो पूरे देश में इस तरह लागू होगा जैसे संसद द्वारा पारित किसी कानून के अंतर्गत होता है। कोर्ट का आदेश लागू रहेगा जब तक कि इसके निमित्त राष्ट्रपति द्वारा दिए गए आदेश के तहत कोई प्रावधान नहीं बन जाता।"

इस पुरे केस में निर्मोही अखाडा ही नहीं बल्कि मुस्लिम पक्ष में भी सुप्रीम कोर्ट ने धारा १४२ का प्रयोग किया है इसके आधार पर अब निर्मोही अखाडा उस बोर्ड का मेंबर होगा जिसे मंदिर निर्माण की योजना तैयार करनी होगी।

 सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की टीम टीम ने निर्मोही अखाड़ा के पक्ष में फैसला सुनाते हुए  कहा था कि 'विवादित जमीन पर निर्मोही अखाड़ा का ऐतिहासिक अस्तित्व और इस मामले में उनके योगदान को देखते हुए जरूरी है कि कोर्ट अनुच्छेद  142 की मदद ले और पूर्ण न्याय करे। इसलिए हम निर्देश देते हैं कि मंदिर निर्माण योजना तैयार करने में निर्मोही अखाड़ा को प्रबंधन में उचित भूमिका निभाने का मौका दिया जाए।'

सलमान खान के पिता सलीम खान का रिएक्शन 

शनिवार को सलाम खान के पिता सलीम खान ने दिया ऐसा बयान की शुर्खिया बन गयी, उनका कहना है कि मुस्लिम धर्म समाज के लिए सुप्रीम कोर्ट दुवारा दी गयी जमीन का सही प्रयोग करना चाहिए, उनका मानना है कि उस पांच एक्क्ड़ जमीन पर स्कूल बनाया जाना चाहिए उनका कहना था कि भारत के मुसलमानो  को मस्जिद नहीं स्कूल की आवश्यक्ता है उन्होंने ये भी बताया कि पैगम्बर ने इस्लाम धर्म के बारे में दो बेहद खूबसूरत बातें बताई जो कि निम्न प्रकार है।

प्यार और क्षमा
अपने मुस्लिम समाज को ये सन्देश दिया है कि मोहब्बत जाहिर करिये और माफ करिये और अब इस मुद्दे को फिर से मत कुरेदिये। ये अपील सलमान खान के पिता सलीम खान ने अपने मुस्लिम समुदाय से की है।

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